धीरे धीरे लोगों की याद से,
मिटता जा रहा हूँ मैं ।
लेकिन मेरी याद से लोग,
नहीं मिट रहे हैं।
अक्सर ये हुआ कि ऐसे लोग लंबे समय तक साथ रहे,
जिन्होंने कभी नहीं कहा था,
कि वे साथ रहेंगे।
और जो रोज नियम से कहते थे,
कि साथ रहेंगे वे ओझल हो गए ऐसे ही समय समझ आया,
कि रिश्तों में नियम नहीं होना चाहिए।
नियम की आदत हो जाती है और ये भी कि जो नियम की तरह,
जीवन में रहते हैं।
वे जाते नियम की तरह नहीं है,
नियम तोड़ कर जाते हैं।
जाने का नियम नौकरी में हो सकता है रिश्तों में नहीं हो भी तो कम से कम मुझे अच्छा नहीं लगता।