'रेत सी होती हो तुम
किनारों पर आजाद, दूर तक खुली - फैली
'लहर होता हूँ मैं
'बार-बार लौटता हूँ तुम्हारे पास हर बार और अधिक उफान लिए
स्पर्श के इस उतार-चढ़ाव में
'नमक होती है देह '
समुद्र होता है प्रेम |
Source-Internet
चलने से पहले,
हजारों लोगों से पूछना मत,
हाँ, जब चलना शुरू कर देना,
जहाँ भी अवसर मिले सीखना,
और बेहतर बनना हर रोज़,
पहला कदम इच्छाशक्ति का होता है,
पहला कदम इच्छा शक्ति का होता है, आपके संकल्प का होता है । सोच समझ कर उठाइये पहला कदम, मगर सोचते मत रहिए । कुछ लोगों से पूछिये पूछते मत रहिए । जब आप नई राह पर चलेंगे, कुछ नया करेंगे तो आपको भी और दूसरों को भी अजीब लगेगा, क्योंकि यह रास्ते अनजान हैं। दूसरे जिन्होंने कभी इस राह पर कदम भी नहीं बढ़ाया वो भी आपको मना करेंगे डरायेंगे क्योंकि अनजान राह पर चलकर आप शायद एक नया शहर ढूँढ सकते हैं जो लोगों के बसाये शहर से अलग है और उनके नियमों को नहीं मानता। अगर आपका दिल कहता है कि चलना है तो चलिये, रास्ते आप तक चलकर आयेंगे |