Adarsh Maurya
Civil Engineering Graduate From:-Bahraich(Lucknow) , Uttar pradesh, India
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10/30/23
प्रेम
'रेत सी होती हो तुम
किनारों पर आजाद, दूर तक खुली - फैली
'लहर होता हूँ मैं
'बार-बार लौटता हूँ तुम्हारे पास हर बार और अधिक उफान लिए
स्पर्श के इस उतार-चढ़ाव में
'नमक होती है देह '
समुद्र होता है प्रेम |
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