12/9/20

प्रेम इतना उलझा हुआ क्यो है? | Why Love is Complicated



 क्यों कि लोगोंको यह पता ही नहींकी प्रेम को कैसे स्वीकार किया जाये। कोई आपके पास आकर कहने लगता है, मै आपको बहुत बहुत प्यार करता/करती हूँ। और थोडीही देर में आप अपने कान बंद करना चाहते है और कहने लगते हैं, ‘बस करो, मेरे लिये यह सब बहुत भारी हो रहा है, मैं इससे भागना चाहता हूँ। बात तो यह है कि वह व्यक्ति प्यार में भी घुटन महसूस करने लगता है।

यह इसलिये कि हम अपने खुद की गहराई में कभी उतरे ही नहीं। हमने कभी महसूस भी नही किया कि हम कौन हैं। हमें यह पता ही नहीं कि हम ऐसी एक चीज से बने हुए है, जिसका नाम प्रेम है। जब हम अपने खुद के साथ जुडे हुए नहीं हैं, तो फिर दुसरे के साथ जुड पाना इतना स्वाभाविक नही हो पाता। और इसीलिये दुसरा कोई आपसे जुडना चाहे तो आप इतने बेचैन हो जाते हैं। क्योंकि आप तो महसूस करते हो कि आप खुद के साथ ही नही मिल पाये हो। इसीलिये प्यार को कैसे स्वीकार किया जाये यह आप समझ नही पाते ।

आप पहले प्रेम के प्रती आदरभाव रखना सीखें। और अगला व्यक्ति प्रेम को सम्मान ना देता हो, तो उसे प्रेम बताने कि कोशिश ना करें। आपके पास प्रेम देने की भी कुशलता होनी चाहिये। प्रेम देने का कौशल याने प्यार में डूब जाना। केवल कोशिश करना नहीं। प्रेम यह कोई कार्य नही है, वह तो आपके मन की अवस्था है। आपको उसमें बिना कोई शर्त के रहना है। देखिये, मै यहॉ आपके लिये बिना कोई शर्त के उपस्थित हूँ। अब यहाँ आकर उसका स्वीकार करना आप पर ही निर्भर है। आपकी अंदरकी ताकत की वजहसे लोग आपको बेहतर समझ सकते हैं। उसी तरह आप किसी को बेहद प्यार करते हो यह उन्हें समझाने कि जबरदस्ती नहीं कर सकते। यह सब हो पाने के लिये आपको थोडा समय जाने देना होगा। आपको पता ही है ऐसे मामले में जबरदस्ती करने से और बाकी समस्यायें खडी हो सकती है।